झारखंड 2024 विधानसभा चुनाव आजसू के लिए बेहद ही खराब रहा. झारखंड में पार्टी केवल एक सीट ही जीत पाई. जेएलकेएम ने उसके वोट बैंक में सेंध लगाई.
झारखंड /रांची
झारखंड विधानसभा चुनाव, 2024 के नतीजों ने अगर किसी दल को सबसे बड़ा झटका दिया है तो वो है ‘आजसू’. क्योंकि भाजपा के साथ गठबंधन के तहत 10 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद पार्टी एकमात्र मांडू सीट ही जीत पाई. पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया होता, अगर निर्मल महतो यह सीट नहीं जीतते. जीत भी ऐसी कि रिकॉर्ड बन गया. महज 231 वोट के अंतर से इकलौती मांडू सीट आजसू की झोली में गई.खुद पार्टी सुप्रीमो सुदेश महतो सिल्ली सीट से हार गए. उनके अलावा सीटिंग सीट रामगढ़ और गोमिया भी आजसू के हाथ से निकल गई. वहीं ईचागढ़, जुगसलाई, पाकुड़, मनोहरपुर और लोहरदगा में दूसरा स्थान हासिल करने के बावजूद आजसू के प्रत्याशी मुकाबले में नहीं दिखे. डुमरी में तो आजसू की यशोदा देवी तीसरे स्थान पर चलीं गईं.
निराशाजनक चुनाव परिणाम
झारखंड की राजनीति में आजसू की पहचान किंग मेकर या सत्ता की करीबी के रुप में होती रही है. 2024 के नतीजे बता रहे हैं कि अब आजसू के दिन ठीक नहीं चल रहे हैं. मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन कर सत्ता के सपने देख रही आजसू को जनता ने इस चुनाव में बुरी तरह से नकार दिया. सिल्ली से राजनीति के शीर्ष तक पहुंचे सुदेश महतो को फिर एक बार हार का सामना करना पड़ा.
2019 में 83,700 वोट लाकर चुनाव जीतने वाले सुदेश महतो को इसबार सिर्फ 49,302 वोट मिले. मतलब, पिछले चुनाव की तुलना में 34,302 वोट कम. उन्हें झामुमो के अमित कुमार महतो ने 23,867 वोट से हराकर 2019 में अपनी पत्नी सीमा देवी की हार का बदला ले लिया. यहां जेएलकेएम के देवेंद्र नाथ महतो ने 41,725 वोट बटोकर समीकरण बिगाड़ दिया.
रामगढ़ में भी आजसू को बड़ा झटका लगा है. आजसू की सुनीता चौधरी को कांग्रेस की ममता देवी ने 6,790 वोट के अंतर से हराया. इस जीत के साथ ही 2023 के उपचुनाव में अपने पति बजरंग महतो की हार की बदला ले लिया. सुनीता चौधरी को 83,028 वोट मिले थे. जबकि 2023 के उपचुनाव में सुनीता चौधरी ने 1,15,669 वोट लाकर जीत हासिल की थी. खास बात है कि 2024 के चुनाव में रामगढ़ में भी जेएलकेएम के पनेश्वर महतो को 70,979 वोट मिले. लिहाजा, यहां भी जेएलकेएम एक बड़ा फैक्टर रहा.
गोमिया में तो जेएलकेएम ने आजसू को चुनावी रेस से ही बाहर कर दिया. सीटिंग विधायक लंबोदर महतो तीसरे स्थान पर चले गए. उनको 54,508 वोट मिले. दूसरे स्थान पर जेएलकेएम की पूजा कुमारी को 59,077 वोट मिले. इस सीट को झामुमो के योगेंद्र प्रसाद ने 36,093 वोट से जीत लिया. योगेंद्र प्रसाद को 95,170 वोट मिले. 2019 में गोमिया चुनाव जीतने वाले आजसू के लंबोदर महतो को 71,859 वोट मिले थे. यहां भी जेएलकेएम ने आजसू को गहरी चोट दी.
शेष छह सीटों पर आजसू का हाल
आजसू ने ना सिर्फ अपनी तीनों सीटिंग सीटें गंवाई बल्कि छह सीटों पर करारी शिकस्त मिली. आजसू के प्रत्याशी ईचागढ़ में 26,523 वोट, जुगसलाई में 43,445 वोट, पाकुड़ में 86,029 वोट, मनोहरपुर में 31,956 वोट और लोहरदगा में 34,670 वोट के अंतर से चुनाव हार गये. हार और जीत के अंतर बता रहे हैं कि आजसू के प्रत्याशी इनमें से किसी भी सीट पर रेस में नहीं थे. वहीं डुमरी में जीत की उम्मीद पाले बैठे आजसू की प्रत्याशी यशोदा देवी तीसरे स्थान पर चलीं गईं. गौर करने वाली बात है कि ईचागढ़ में जेएलकेएम के तरुण महतो और जुगसलाई में जेएलकेएम के विनोद स्वांसी ने आजसू को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाया.
क्या घट रही है आजसू पार्टी की लोकप्रियता?
अब सवाल है कि आजसू के संदर्भ में इस चुनाव परिणाम के क्या मायने निकाले जाए. क्या यह कहना सही होगा कि आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो की लोकप्रियता घट रही है. नतीजे तो यही बता रहे हैं. आजसू का गढ़ कहे जाने वाले सिल्ली, रामगढ़ और गोमिया के समीकरण को जेएलकेएम के प्रत्याशियों ने बदल दिया. 2019 में आजसू से गठबंधन नहीं होने पर भाजपा को सत्ता गंवानी पड़ी थी. लेकिन 2024 के नतीजे बता रहे हैं कि आजसू के कोर वोटर अब जेएलकेएम के अध्यक्ष जयराम में अपना नेता देख रहे हैं. यह आजसू के लिए अच्छा संकेत नहीं है