जिस तरह झारखंड का देवघर मन्दिर वहाँ के विकास में अपनी महती भूमिका निभाता आ रहा है उसी के तर्ज पर बिहार में भी अनेकों ऐसे स्थान हैं जो सरकारी उदासीनता की वजह से स्थानीय स्तर पर ही सीमित हो चुके हैं। आज हम बात कर रहे हैं रोहतास जिला अंतर्गत नौहट्टा प्रखंड के बांदु गांव के पास सोन,सरस्वती और कोयल नदी के बीच जलधारा में स्थित दसशीश नाथ महादेव की। श्रद्धालु कभी यहां नाव से तो कभी-कभी पानी में उतरकर यहाँ पहुँचते हैं। काफी दुर्गम स्थल पर स्थित इस मंदिर की मान्यता ऐसी हैं कि इस शिवलिंग की स्थापना लंकापति रावण के द्वारा किया गया था।
चुकीं साल के लगभग 8 महीने यह शिवलिंग पानी के अंदर रहता है और जब पानी कम हो जाता हैं तो शिवलिंग बाहर दिखने लगता हैं।किवदंती ऐसा माना जाता है कि यहां एक बार रावण और सहस्त्रबाहु के बीच युद्ध हुआ था जिसमें रावण को पराजय का सामना करना पड़ा था।
अपने समय मे कई राजाओं ने इस महादेव स्थान पर शिलालेख लिखवाए हैं। खरवार राजा प्रताप धवल देव की पूरी वंशावली यहां अंकित है, जिन-जिन राजाओं ने अलग-अलग कालखंड में यहां आकर पूजा-अर्चना की है, उन लोगों ने अपने-अपने नाम अंकित करवाए हैं।इसी से अंदाज लगाया जा सकता हैं कि यह दसशीशानाथ कितना प्राचीन तथा महत्वपूर्ण मंदिर है।
बिहार के विकास के लिए कृत संकल्पित नीतीश कुमार जब पहली बार सरकार में आए तो उन्होंने ने भरोसा दिलाया की बिहार में विकास की असीम सम्भावनाएं हैं और उन्होंने कहा की “क्या हुआ हमारे पास कल कारखाने और उद्योग की कमी हैं तो, बिहार का पर्यटन यहाँ उद्योग के रूप में विकसित होगा “। बिहार पर्यटन के क्षेत्र में विकसित कर भी रहा है आज राजगीर, नालंदा, बोध गया पावापुरी,पटना दुनिया के मानचित्र पर अमिट छाप छोड़ चुके हैं जहां विदेशों से भी लोग घूमने आते हैं। बिहार पर्यटन बौद्ध सर्किट, जैन सर्किट, सिख और मुस्लिम सर्किट के रूप में जिस तरह से विकास के लिए प्रयासरत हैं उसी दिशा में हिन्दू सर्किट पर भी फोक्स किया जाता तो बिहार पर्यटन के क्षेत्र में असीम सम्भावनाएं हैं। बिहार में कई ऐसे तीर्थ स्थल हैं जो विकसित करने के उपरांत बिहार के राजस्व में अपना अद्वितीय योगदान दे सकते हैं ।हम एक एक करके ऐसे स्थानों से बिहार सरकार और यहाँ की प्रशासन व्यवस्था को रूबरू कराना चाहेंगे ताकि बिहार पर्यटन के क्षेत्र में सुदृढ़ीकरण विकास सम्भव हो।